आज पापा का à¥à¥¯à¤µà¤¾à¤‚ जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ है। उनके हाथ पकड़ के चलना सिखा, कंधे पे बैठकर दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को देखना सिखा और उनको विचारों ने मà¥à¤à¤®à¥‡ अचà¥à¤›à¥‡-बà¥à¤°à¥‡ को समà¤à¤¨à¥‡ की सिख दी। कà¤à¥€ सोच नहीं सकता था की वो à¤à¤• दिन कहीं दूर चले जायेंगे पर सही में वो कहीं दूर नहीं गठहैं।  à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है की वो शायद मेरे मन-मषà¥à¤¤à¤¿à¤• में कहीं विराजमान हैं  और हर पल मेरा मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ करते हैं। जिन पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚ल परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚  में पापा और माठने हम दोनों को जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से बड़ा किया वो संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ अपने आप में उनकी à¤à¤• उपलबà¥à¤§à¤¿ ही है। आज à¤à¥€ जब में अपने विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से विचार-विमरà¥à¤¶ करता हूठतब मैं पापा को हमेशा याद करता हूठऔर उनका अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करता हूà¤à¥¤ पापा मेरे लिठसबसे महान आदरà¥à¤¶ हैं और वे सदा रहेंगे।